- संतोष साह
स्वच्छता का आलम देखिए, उत्तरकाशी नगर के एक शौचालय में सब्जी की दुकान से लेकर मूंगफली भी भूनी जा रही है। दुकान का किराया हर रोज 20 रुपये है जो पालिका तहबाजारी के तहत वसूलती है। गौरतलब है कि शौचालय भी कोई ऐसा-वैसा नहीं लाखों की लागत में नमामि गंगे से बना है।
साल भर से ज्यादा होने को है लेकिन जिस काम व स्वच्छता को लेकर शौचालय बना था वह अब तक परवान नही चढ़ पाया है। अलबत्ता शौचालय तो प्रयोग के लिये खोला नहीं गया मगर इसके बदले शौचालय में दुकान जरूर खुल गयी जो नमामि गंगे से बने सुंदर घाट को मुहँ चिढा रही है। घाट की सीढ़ियों में भी अतिक्रमण कर फड़ लगने लगे हैं।
शौचालय के न खुलने से गंदगी का आलम भी बुरा है। लोग आड़ लेकर दीवारों में ही पेशाब कर रहे हैं। नमामि गंगे के अंतर्गत बने मणिकर्णिका घाट निर्माण की एजेंसी सिंचाई विभाग है। रख-रखाव का जिम्मा भी सिंचाई विभाग का है। शौचालय के हस्तांतरण की जिम्मेदारी भी सिंचाई विभाग की थी।
लेकिन सिंचाई विभाग ने भी घाट निर्माण के बाद इसकी जिम्मेदारी नहीं समझी है। सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता जी.पी.सिलवाल ने एक मर्तबा घाट से अतिक्रमण हटाने के अलावा यहां बने शौचालय की व्यवस्था बनाये जाने की बात कही थी मगर हुआ हासिल पाये जीरो। कुल मिलाकर बेहतर बने नमामि गंगे घाट के हालात बदतर हो रहे हैं।